बुधवार, 13 अगस्त 2014

गीत गोविन्द Gita Govinda

श्रितकमलाकुचमण्डल धृतकुण्डल
कलितललितवनमाल जय जय देव हरे॥
पदच्छेद : श्रित कमला कुच मण्डल धृत कुण्डल कलित ललित वनमाल जय जय देव हरे
दिनमणीमण्दलमण्डन भवखण्डन
मुनिजनमानसहंस जय जयदेव हरे॥
पदच्छेद : दिन मणि मण्दल मण्डन भव खण्डन मुनि जन मानस हन्स जय जय देव हरे
कालियविषधरगञ्जन जनरञ्जन
यदुकुलनलिनदिनेश जय जय देव हरे॥
पदच्छेद : कालिय विष धर गंजन जन रंजन यदु कुल नलिन दिन ईश जय जय देव हरे
मधुमुरनरकविनाशन गरुडासन
सुरकुलकेलिनिदान जय जय देव हरे॥
पदच्छेद : मधु मुर नरक विनाशन गरुड आसन सुर कुल केलि निदान जय जय देव हरे
अमलकमलदललोचन भवमोचन्
त्रिभुवनभवननिधान जय जय देव हरे॥
पदच्छेद : अमल कमल दल लोचन भव मोचन त्रि भुवन भवन निधान जय जय देव हरे

जनकसुताकृतभूषण जितदूषण
समरशमितदशखण्ठ जय जय देव हरे॥
पदच्छेद : जनक सुता कृत भूषण जित दूषण समर शमित दश खण्ठ जय जय देव हरे

अभिनवजलधरसुन्दर धृतमन्दर
श्रीमुखचन्द्रचकोर जय जय देव हरे॥
पदच्छेद : अभिनव जल धर सुन्दर धृत मन्दर श्री मुख चन्द्र चकोर जय जय देव हरे
तवचरणे प्रणतावयमिति भावय
कुरुकुशलम् प्रणतेषु जय जय देव हरे॥
पदच्छेद : तव चरणे प्रणता वयम् इति भावय कुरु कुशलम् प्रणतेषु जय जय देव हरे
श्रीजयदेवकवेरिदम् कुरुते मुदम्
मङ्गलमुज्ज्वलगीतम् जय जय देव हरे॥
पदच्छेद : श्री जयदेव कवेः इदम् कुरुते मुदम् मंगलम् उज्ज्वल गीतम् जय जय देव हरे


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